Saturday, June 18, 2011

मुलाधार, मूलाधार, मुल आधार, अधार, प्रथम चक्र

मुलाधार, मूलाधार, मुल आधार, अधार, प्रथम चक्र

स्थान:-गुप्तांग तथा गुदे के बीच में मूलाधार

तत्व:-पृथ्वी

रंग:--लाल

मूलाधार चक्र जैसा कि हम कहते है, जिसमे हम अपने मुल आधार को महत्व देते हैं कि हम कहाँ से आये हैं ?
हम काहाँ से सम्बन्ध रखते हैं ?
तथा हमारी पहचान क्या है ?

इन प्रश्नों के जबाब हमे अपने परिवर तथा अपने पूर्वजो से मिल सकते हैं, प्रथम चक्र की बलशाली उर्जा हमें भावात्मक सुरक्षा प्रदान करती है, वहीं मुलधार चक्र में रूकावट भावात्मक असुरक्षा का कारण बन सकती है। यह असुराक्षा उन्हे भौतिक दुनिया में एक पहचान ढुढ्ने के लिये भावना उत्पन्न कराती है। यह पहचान न होने कि कमी से व्यक्ति अपने भावों की अभिव्यक्ति उच्चतर अथवा निम्नतर स्तर पर करने लगता है क्योंकि वास्तविकता में व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व का बोध नही होता है, इसी अज्ञान के अंधकार के कारण व्याक्ति अपने आप को या तो बहुत उच्चतर अथवा निम्नतर समझने लगता है।

व्यक्ति हमेसा प्रथम चक्र मे होने वाली रूकावटों के कारण यह सोचता है की वह सुन नही सकता और वह इतना बात करने वाला कैसा हो गया है। इस चक्र का तत्व पृथ्वी से जुडा होता है तथा कोई व्यक्ति जिसकी उर्जा इस चक्र मे कमजोर है वह पृथ्वी(आधार) से जुडा नही रहता है भावनात्मक परिणाम क्रोध मे बदल जाता है तथा निराशा व अपरिस्थित जीवन हो जाता है।

एक शारीरिक स्तर पैर तथा घुँटने मूलाधार चक्र से सम्बन्धित हैं तथा यहाँ असर होता है यदि प्राकृतिक उर्जा यहाँ रूक जाती है, कैन्सर रोग भी प्रथम चक्र से सम्बन्धित रोग है।


प्रथम चक्र आधार चक्र है जहाँ कुण्डलिनि उर्जा उत्पन्न होती है तथा जहाँ यह उर्जा द्वितीय चक्र कि ओर प्रवाहित होती है. प्रथम चक्र में होने वाली समस्याएँ तथा रूकावटे बहुत साधारण हैं, विशेष रूप से यह उन देशों तथा संस्कृतियों जहाँ परिवार का महत्व समाप्त हो चुका है तथा जहाँ बच्चों तथा किशोरों को एक अच्छी पारिवारिक पृष्ठभुमि नही मिल पाती जहाँ से वे आये हैं।

प्रेरक सुगन्ध:- कस्तूरी जैसे सुगन्ध वाले पौधे, चमेली का फूल, नीले या बैंगनी रंग के फूल पौधे या पदार्थ, मिट्‌टी

रत्न तथा पत्थर:- माणिक्य, रक्तमणि, लाल पत्थर, गोमेद, Tiger’s eye, Rose Quartz, Hematite, Load stone, Alexandrite, Smoky Quartz

शारीरिक समस्याएँ:-
कैन्सर, हड्डी की समस्या, coccyx difficulties, कोष्ठबद्धता, फोडे‌, सर दर्द, जोडों की समस्या, घुँटनों की समस्या, गुदे से सम्बंधित सम्स्याएँ, माँस पेशियों की समस्याएँ, शारीरिक कमजोरी, बबासीर, पुरस्थ ग्रंथि की समस्याएँ,अकड़न, पुरूष प्रजनन तंत्र संबंधी समस्याएँ, बडी आँत का कैन्सर

भावनात्मक समस्याएँ:
क्रोध, पागलपन, घृणा, लत, वस्तुओं से लगाव तथा भावनात्मक समस्याएँ, बडबडाना, अपने पर नियंत्रण, अवषाद, प्रभावशाली व्यक्तित्व, अहंकार, जीवित रहने की स्थिति से भय, अस्थिरता, जलन, असंतुलन, आलसीपन,उपेक्षा भाव, आत्महत्या की भावना, बिना प्रेम कि भावना, परिस्थिति के विपरीत,सहायता कि कमी, शरीर कि चिंता न होना, बिना आधार का, बिना इच्छा का, असुराक्षा
राम  राम  राम  राम  राम  राम  राम

Thursday, June 9, 2011

Guru Meri Puja Bhajan Link

http://www.4shared.com/audio/pTvQ5uFj/Guru_Meri_Puja_.html

राम  राम  राम  राम  राम  राम  राम


क्षमा मांग लो


कभी भूल से किसी को कड़ी बात कह दो तो तुरंत क्षमा मांग लो |

कभी भूल से किसी को दुःख पहुचाने वाला काम हो जाये तो तुरंत क्षमा मांग लो |

कभी भूल से रास्ते में किसी से टकरा जाओ  तो तुरंत क्षमा मांग लो |

कभी भूल से किसी की वस्तु उठा लो  तो तुरंत क्षमा मांग लो |

अपनी भूल स्वीकार कर लेना अच्छे इन्सान के लक्षण है |

अपनी भूल के लिए क्षमा मांग लेना अच्छे इन्सान के लक्षण है |

अपनी भूल सुधार लेना अच्छे इन्सान के लक्षण है | 

अपनी भूल को ठीक मत बताओ |
अपनी भूल का समर्थन मत करो |
अपनी भूल के कारण मत गिनाओ|

अपनी भूल झटपट मान लो |
अपनी भूल सुधार लो |
अपनी भूल के लिए क्षमा मांग लो |

राम  राम  राम  राम  राम  राम  राम

Wednesday, May 11, 2011

Means of Mangal Dhaam



Mangal Dhaam

Most benefic abode or vaikunth is name of Ram.
Assures growth and all round progress who seeks Him with utmost dedication.
None of the evil force can disturb the Naam Sadhak.
Glory of this and the other world meets with His name.
Assures peace to all seekers like a child on the lap of mother.
Lighter we become as we intensify the chant within.

Doubts would never haunt those who surrender to Him.
Himalaya of the celestial kind is the Ram Naam Dhaam.
Allows to experience the Heaven, right on this earth.
Also, bestows Salvation and the final beatitude… paramgati, paramdhaam.
Melts the ego which otherwise stops our growth. It provides an egoless flight.”
राम  राम  राम  राम  राम  राम  राम